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बच्ची के इलाज के लिए भटकते रहे माता-पिता : जिला अस्पताल में बच्ची को लेकर परेशान होते रहे माता-पिता,स्टाफ ने समय पर नहीं काटी पर्ची

Parents kept wandering for the treatment of the girl child: Parents were worried about the girl child in the district hospital, the staff did not cut the slip on time

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बिलासपुर के जिला अस्पताल में आठ दिन की प्री-मेच्योर बेबी को लेकर उसके माता-पिता चार घंटे तक भटकते रहे। लेकिन, इसके बाद भी अस्पताल स्टाफ का दिल नहीं पसीजा। इलाज के अभाव में बच्ची की तबीयत बिगड़ने लगी, तब उन्होंने सिविल सर्जन से शिकायत की। इसके बाद हरकत में आए स्टाफ ने चार घंटे बाद एनआईसीयू में भर्ती किया और मासूम का इलाज शुरू हो सका।

कानन पेंडारी की रहने वाली सरस्वती मरावी पति प्रीत मरावी ने आठ दिन पहले बच्ची को जन्म दिया। बच्ची जन्म के साथ ही कमजोर थी और उसका वजन मात्र 950 ग्राम ही था। ऐसे में प्री-मेच्योर बेबी की तबीयत बिगड़ रही थी। पिछले दो दिन से बच्ची ठीक से दूध नहीं पी पा रही थी। इससे बच्ची की हालत और ज्यादा गम्भीर हो गई। ऐसे में परिजन बुधवार को उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे, जहां पर्ची काउंटर में भीड़ ज्यादा थी। इसलिए परिजन कतार में ना लगकर बीच से ही पर्ची कटवाने की कोशिश करते रहे।

ऑपरेटर बोला- अभी भीड़ है बाद में आना

इस दौरान बच्ची की मां ऑपरेटर के पास खड़ी होकर पर्ची काटने के लिए गिड़गिड़ाती रही, जिस पर ऑपरेटर ने कहा कि अभी भीड़ है बाद में आना। उसकी बातों को सुनकर परिजन हेल्प डेस्क पहुंचे, जहां से उन्हें नए भवन की तीसरी मंजिल में स्थित एसएनसीयू जाने कहा गया। परिजन वहां पहुंचे तो उन्हें पहले पर्ची कटाने के लिए कहा गया। फिर वो दोबारा पर्ची काउंटर पहुंचे। लेकिन, तब तक एक बज गए थे। इस बार कर्मचारियों ने उन्हें शाम चार बजे आने की बात कही, जिसके बाद निराश होकर परिजन अस्पताल परिसर में ही तकरीबन चार घंटे तक इधर-उधर मदद मांगते रहे।

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सिविल सर्जन से की शिकायत, तब शुरू हुआ इलाज

चार घंटे तक इंतजार के बाद शाम चार बजे पर्ची काउंटर खुला, तब तक किसी ने बच्ची की हालत देखकर सिविल सर्जन डॉ. अनिल गुप्ता से मामले की शिकायत कर दी। जानकारी मिलते डा. गुप्ता आनन-फानन में वहां पहुंचे और पर्जी कटवाकर बच्ची को भर्ती कराकर तत्काल इलाज शुरू कराया। इस दौरान उन्होंने अस्पताल के कर्मचारियों को जमकर फटकार भी लगाई।

रेफरल सेंटर बन गया है जिला अस्पातल

जिला अस्पताल प्रबंधन की नाकामी बार-बार उजागर होती रही है। ये पहली मर्तबा नहीं है जब जिला अस्पताल में इस तरह की अमानवीय घटना सामने आई है। इससे पहले भी दर्द से कराहते दर्जनों महिलाओं को बिना प्रसव कराए ही सिम्स या फिर निजी अस्पताल भेजने का मामला सामने आ चुका है। यहां तक की स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर ने दो बार सिविल सर्जन डॉ. अनिल गुप्ता को नोटिस जारी कर अस्पताल की व्यवस्था सुधारने के लिए चेतावनी दी है।

सिविल सर्जन बोले- जांच के बाद होगी कार्रवाई

सिविल सर्जन डॉ. अनिल गुप्ता ने कहा कि नवजात बच्ची के उपचार कराने परिजन अस्पताल पहुंचे थे, जिन्हें पर्ची कटवाने के लिए परेशान होने की जानकारी मिली है। मामला सामने आने के बाद उन्होंने खुद बच्ची को भर्ती कराया है। इस मामले की जांच कराई जाएगी और दोषी के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।

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