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कुत्ते के मल से होने वाले दुर्लभ सिस्ट से मरीज की बचाई जान, दो माह से सांस लेने में हो रही थी परेशानी

Raipur Health News

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रायपुर। Raipur Health News : राजधानी के आंबेडकर अस्पताल में कुत्ते के मल से होने वाले मेडियस्टाइनल हाइडेटिड सिस्ट की सफल सर्जरी की गई है। सर्जरी करने वाले हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. कृष्णकांत साहू के अनुसार संभवत: प्रदेश में पहली बार मेडियस्टाइनल हाइडेटिड सिस्ट की सर्जरी विभाग में की गई है। वहीं मरीज स्वस्थ है, जो अपने घर जाने को तैयार है। बता दें यह बीमारी कुत्ते के मल के द्वारा फैलता है। यह एक कृमि जिसको इकाइनोकोकस ग्रेन्यूलोसस कहा जाता है, के द्वारा होता है। यह उन लोगों को ज्यादा होता है, जो कुत्ते के साथ रहते हैं या खेलते हैं।

जानकारी के अनुसार यह बीमारी सबसे ज्यादा लिवर को प्रभावित करता है। उसके बाद फेफड़े, मस्तिष्क, आंत एवं हृदय में भी हो सकता है लेकिन मेडियस्टाइनम (वक्ष गुहा का मध्य भाग) में हाइडेटिड सिस्ट का पाया जाना बहुत ही दुर्लभ है। डा. साहू का कहना है कि 15 वर्ष के कैरियर में उन्होंने ऐसा केस पहली बार देखा है। निजी अस्पताल में भी ऐसी सर्जरी हुई हो, नहीं सुना है। मेडियस्टाइनम का अर्थ होता है दो फेफड़ों के बीच का स्थान जहां पर हृदय स्थित होता है।

यह बीमारी सामान्यत : नार्थ और साउथ अफ्रीका में सबसे ज्यादा पाया जाता है। यह युवक भी दो साल पहले बीमार कुत्तों की सेवा करता था। आशंका है कि यह बीमारी उसी समय आयी होगी। उन्होंने बताया कि विभाग में फेफड़े के हाइडेटिड सिस्ट के तीन-चार आपरेशन हर माह होते हैं परंतु ऐसा केस आज तक नहीं देखा था। चार साल पहले विभाग में हृदय के अंदर हाइडेटिड सिस्ट का मामला आया था।बालोद का रहने वाला युवक पीएससी की कर रहा तैयारी

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21 वर्षीय युवक बालोद जिले का रहने वाला है। वह पीएससी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है। उसे करीब दो महीनों से खांसी एवं सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। सांस इतना फूल रहा था कि उसको बात करने में भी तकलीफ हो रही थी। थोड़ी-थोड़ी खांसी करीब एक साल से हो रही थी। स्थानीय डाक्टर को दिखाने पर उसको खांसी की दवाई दी गई परंतु जब सांस ज्यादा फूलने लगी तो उसने इसकी जानकारी आंबेडकर अस्पताल में काम करने वाली अपनी दीदी को दी।

उसकी दीदी ने छाती का एक्स रे कराया, जिसमें पता चला कि हृदय के ऊपर कुछ गांठ है। इसके बाद उन्होंने डा. साहू से संपर्क कर चेस्ट का सीटी स्कैन कराया तो पता चला कि हार्ट के ऊपर कैंसर थर्ड ग्रेड का ट्यूमर है। डा. साहू ने सीटी गाइडेड बायोप्सी कराया तो कैंसर के प्रकार का पता नहीं चल पाया। मरीज की सांस में ज्यादा तकलीफ होने लगी, तो डा साहू ने तुरंत आपरेशन कराने के लिए कहा तो मरीज तैयार हो गया।

हाइडेटिड सिस्ट की नहीं थी जानकारी

डा साहू ने बताया कि यह आपरेशन अन्य हाइडेटिड सिस्ट सर्जरी से अलग था। सर्जरी करते समय तक यह पता नहीं था कि यह हृदय (मेडियस्टाइनम) का कैंसर न होकर हाइडेटिड सिस्ट है। मरीज में गांठ महाधमनी, फेफड़े की धमनी और बायें मुख्य सांस नली को उसकी चपेट में ले रखा था। सर्जरी के दौरान जरा भी चूक होने पर मरीज की जान जा सकती थी।

बीमारी से बचने यह करें

यदि गली के कुत्ते से दूरी बनाएं व सही समय पर कृमिनाशक दवाई का उपयोग करें तो बीमारी से बचा जा सकता है। कृमि से न केवल खून की कमी एवं कमजोरी होती है बल्कि हाइडेटिड सिस्ट होने का भी खतरा होता है, जो जानलेवा होता है।

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कुत्ते के मल से होने वाले दुर्लभ सिस्ट से मरीज की बचाई जान, दो माह से सांस लेने में हो रही थी परेशानी Patient’s life saved from rare cyst caused by dog ​​faeces, he was having trouble breathing for two months

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