OBC Reservation नई दिल्ली/जबलपुर: मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। यह मामला अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को ‘टॉप ऑफ द बोर्ड’ श्रेणी में सूचीबद्ध किया है, यानी अब सुनवाई रोजाना जारी रहेगी और तब तक चलेगी जब तक कि अंतिम फैसला नहीं हो जाता। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि एमपी का ओबीसी आरक्षण मामला छत्तीसगढ़ के आरक्षण मामले से अलग किया गया है। OBC Reservation
दरअसल, छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षण बढ़ाने के मामले के साथ यह मामला जुड़ा हुआ था, लेकिन दोनों मामलों में भिन्नताएँ थीं। छत्तीसगढ़ में 32 प्रतिशत एसटी आरक्षण को बिलासपुर हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था, जिसके खिलाफ सरकार को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत मिली हुई है। वहीं, मध्यप्रदेश के ओबीसी आरक्षण को जबलपुर हाईकोर्ट ने रद्द नहीं किया है। केवल कुछ भर्तियों में बढ़ा हुआ ओबीसी आरक्षण देने पर अंतरिम रोक लगी थी।
आज हुई सुनवाई में मध्यप्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर वेंकटरमणी ने पक्ष रखा। कोर्ट ने सरकार की मांग पर एमपी के ओबीसी आरक्षण मामले पर अलग से सुनवाई करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान ओबीसी आरक्षण से जुड़े 15,000 से ज्यादा दस्तावेज पेनड्राइव में पेश किए गए। वकीलों ने इन दस्तावेजों का अध्ययन करने के लिए समय की मांग भी की।
सुप्रीम कोर्ट ने अब 8 अक्टूबर से इस मामले की अंतिम सुनवाई तय कर दी है। कोर्ट ने सभी पक्षों को निर्देश दिया है कि वे दस्तावेजों का अध्ययन कर ज़िरह के लिए पूरी तरह तैयार रहें। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि अब इस छह साल से लंबित मामले में कोई नया अंतरिम आदेश नहीं दिया जाएगा और फाइनल हियरिंग के बाद ही फैसला सुनाया जाएगा।
यह सुनवाई मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इसके निर्णय से राज्य में आरक्षण की दिशा और विभिन्न भर्तियों में ओबीसी उम्मीदवारों के अधिकार तय होंगे।