Hanuman ji kaise milege / रायपुर। राजधानी रायपुर के गुढ़ियारी स्थित अवधपुरी मैदान में चल रही श्रीमंत हनुमंत कथा के दौरान बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भक्तों को एक गहन और जीवन बदलने वाला संदेश दिया। उन्होंने कहा कि “वासना और ईर्ष्या की आँखों से हनुमान जी दिखाई नहीं देते। जैसे ही अपने विचारों को बदलोगे, हनुमान जी प्रकट हो जाएंगे।” Hanuman ji kaise milege
हनुमान जी को दिल में बसाना ही असली साधना
पं. शास्त्री ने कहा कि हनुमान जी हर जगह विद्यमान हैं, लेकिन उन्हें देखने और महसूस करने के लिए हमारे विचार शुद्ध होने चाहिए। उन्होंने बताया कि जब तक मनुष्य अपने हृदय को स्वच्छ नहीं करेगा, ईर्ष्या, द्वेष और वासनाओं को त्याग नहीं करेगा, तब तक वह हनुमान जी का साक्षात्कार नहीं कर सकता।
“हनुमान जी से भूत-प्रेत तक डरते हैं, ऐसे में यदि आप उन्हें अपने हृदय में बसाते हैं तो आपके जीवन के संकट स्वतः ही दूर हो जाएंगे,” उन्होंने कहा।
ईर्ष्या और द्वेष से क्यों बिगड़ता है जीवन
शास्त्री जी ने उदाहरण देते हुए कहा कि मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि वह दूसरों की खुशियों को देखकर जलता है और उनके दुख से उदास नहीं होता। यही ईर्ष्या और द्वेष जीवन को अंधकारमय बना देती है। उन्होंने भक्तों से आह्वान किया कि दूसरों की खुशियों में खुश होना और उनके दुख में सहभागी होना ही सच्ची मानवता है।
कथा में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब
कथा स्थल पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटे और शास्त्री जी के उपदेशों को आत्मसात किया। जैसे ही उन्होंने “हनुमान जी को देखने के लिए विचार बदलो” का संदेश दिया, पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट और जय श्रीराम, जय बजरंगबली के नारों से गूंज उठा।
जीवन में बदलाव का सूत्र
शास्त्री जी ने कहा – “जब तक हम अपने विचारों को बदलकर भक्ति और सकारात्मकता की ओर नहीं ले जाएंगे, तब तक हमें वास्तविक शांति नहीं मिलेगी।” उन्होंने श्रद्धालुओं को समझाया कि केवल मंदिर जाकर भगवान की मूर्ति देखने से ही भक्ति पूरी नहीं होती, बल्कि भगवान को दिल में बसाना और जीवन में उनके आदर्शों को अपनाना ही असली भक्ति है।
भक्ति में है जीवन का सार
उन्होंने कहा कि रामकथा केवल सुनने के लिए नहीं, बल्कि जीवन में उतारने के लिए है। यदि कथा के बाद भी हमारे विचार नहीं बदलते, तो कथा का लाभ अधूरा रह जाता है।
“हनुमान जी आपके अंदर तब ही बसेंगे जब आप अपने विचारों को शुद्ध करेंगे, दूसरों की भलाई के लिए सोचेंगे और हर पल प्रभु का स्मरण करेंगे।”
रायपुर की धरती पर हो रही इस कथा में शास्त्री जी के प्रवचनों से भक्तों के दिलों में भक्ति और आत्मविश्वास की नई ऊर्जा का संचार हुआ।
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