Ram Mandir Pran Pratishta Pujan : नई दिल्ली : अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित होने वाली रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान आज से शुरू होने जा रहा है. सबसे पहले प्रायश्चित पूजा के साथ प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की जायेगी. आपको बता दें कि पूजन कार्यक्रम सुबह 9:30 बजे से शुरू होगा, जो करीब 5 घंटे तक चलेगा. Ayodhya Ram Mandir
इसमें यजमान तप आराधना प्रारंभ करेंगे. प्रायश्चित पूजा पूजा की वह विधि है जिसमें शारीरिक, आंतरिक, मानसिक और बाह्य तीनों प्रकार से प्रायश्चित किया जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार बाह्य प्रायश्चित के लिए स्नान की 10 विधियां हैं. इसमें लोग पंच द्रव्य के अलावा भस्म समेत कई औषधीय सामग्रियों से स्नान करते हैं. Ayodhya Ram Mandir
इस तरह से आग की शुरू होगी पूजा Ayodhya Ram Mandir
इसके साथ ही गोदान का एक और अनुष्ठान और संकल्प भी है. इस पूजा के दौरान यजमान गोदान के माध्यम से प्रायश्चित करता है. कुछ द्रव्य दान से भी प्रायश्चित किया जाता है, जिसमें सोना दान करना भी शामिल है. इस संबंध में पंडित बताते हैं कि यदि हम कोई पवित्र कार्य या यज्ञ करते हैं तो यजमान को उसका प्रायश्चित करना पड़ता है. आमतौर पर पंडित को ऐसा नहीं करना पड़ता लेकिन यजमान को इस प्रकार की तपस्या करनी पड़ती है.
इसके पीछे मूल विचार यह है कि अनजाने में जो भी पाप हो गया हो उसका प्रायश्चित करना.जैसा कि हम खुद जानते हैं कि कई बार हम कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिनका हमें पता भी नहीं चलता तो ऐसे ही पापों से बचने के लिए यह तरीका अपनाया जाता है।
इस पूजन में बैठेंगे 121 ब्राह्मण Ayodhya Ram Mandir
इस पूजा के बाद कर्म कुटी पूजा का आयोजन किया जाता है यानी इस पूजा में यज्ञशाला की पूजा की जाती है. यज्ञशाला की पूजन शुरू होने से पहले लोग हवन कुंड या बेदी की पूजा करते हैं. इस दौरान भगवान विष्णु की एक छोटी सी पूजा की जाती है. उसके बाद ही हम उस विधि को पूजा के लिए अंदर ले जाते हैं. हर क्षेत्र में प्रवेश पाने के लिए पूजा-अर्चना की जाती है. उस पूजा का अधिकार मिलने के बाद हम अंदर जाते हैं और पूजा करते हैं.
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आपको बता दें कि प्रायश्चित्त की पूजा करने में कम से कम 2 घंटे का समय लगता है और विष्णु पूजा के लिए भी उतना ही समय लगता है. यानी मंगलवार की पूजा सुबह 9:30 बजे शुरू होगी और करीब 5 घंटे तक चलेगी. इस पूजा में 121 ब्राह्मण बैठेंगे.
प्राण प्रतिष्ठा और संबंधित आयोजनों का विवरण:
1. आयोजन तिथि और स्थल: भगवान श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ मुहूर्त, पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार, 22 जनवरी, 2024 को आ रहा है।
2. शास्त्रीय पद्धति और समारोह-पूर्व परंपराएं: सभी शास्त्रीय परंपराओं का पालन करते हुए, प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में संपन्न किया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व शुभ संस्कारों का प्रारंभ कल अर्थात 16 जनवरी 2024 से होगा, जो 21 जनवरी, 2024 तक चलेगा।
द्वादश अधिवास निम्नानुसार आयोजित होंगे:-
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- -16 जनवरी: प्रायश्चित्त और कर्मकूटि पूजन
- -17 जनवरी: मूर्ति का परिसर प्रवेश
- -18 जनवरी (सायं): तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास और गंधाधिवास
- -19 जनवरी (प्रातः): औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास
- -19 जनवरी (सायं): धान्याधिवास
- -20 जनवरी (प्रातः): शर्कराधिवास, फलाधिवास
- -20 जनवरी (सायं): पुष्पाधिवास
- -21 जनवरी (प्रातः): मध्याधिवास
- -21 जनवरी (सायं): शय्याधिवास
3. अधिवास प्रक्रिया एवं आचार्य: सामान्यत: प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सात अधिवास होते हैं और न्यूनतम तीन अधिवास अभ्यास में होते हैं। समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन करने वाले 121 आचार्य होंगे। श्री गणेशवर शास्त्री द्रविड़ सभी प्रक्रियाओं की निगरानी, समन्वय और दिशा-निर्देशन करेंगे, तथा काशी के श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित मुख्य आचार्य होंगे।
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4. विशिष्ट अतिथिगण: प्राण प्रतिष्ठा भारत के आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूजनीय सरसंघचालक मोहन भागवत जी, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल जी, उत्तर प्रदेश के आदरणीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में होगी।
5. विविध प्रतिष्ठान: भारतीय आध्यात्मिकता, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा के सभी विद्यालयों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा सहित 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी, द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्तियों की कार्यक्रम में उपस्थिति रहेगी, जो श्री राम मंदिर परिसर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दर्शन हेतु पधारेंगे।
6. ऐतिहासिक आदिवासी प्रतिभाग: भारत के इतिहास में प्रथम बार पहाड़ों, वनों, तटीय क्षेत्रों, द्वीपों आदि के वासियों द्वारा एक स्थान पर ऐसे किसी समारोह में प्रतिभाग किया जा रहा है। यह अपने आप में अद्वितीय होगा।
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7. समाहित परंपराएँ: शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, पात्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माध्व, विष्णु नामी, रामसनेही, घिसापंथ, गरीबदासी, गौड़ीय, कबीरपंथी, वाल्मीकि, शंकरदेव (असम), माधव देव, इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, गायत्री परिवार, अनुकूल चंद्र ठाकुर परंपरा, ओडिशा के महिमा समाज, अकाली, निरंकारी, नामधारी (पंजाब), राधास्वामी और स्वामीनारायण, वारकरी, वीर शैव इत्यादि कई सम्मानित परंपराएँ इसमें भाग लेंगी।
8. दर्शन और उत्सव: गर्भ-गृह में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पूर्ण होने के बाद, सभी साक्षी महानुभावों को दर्शन कराया जाएगा। श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए हर जगह उत्साह का भाव है। इसे अयोध्या समेत पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाने का संकल्प किया गया है। समारोह के पूर्व विभिन्न राज्यों के लोग लगातार जल, मिट्टी, सोना, चांदी, मणियां, कपड़े, आभूषण, विशाल घंटे, ढोल, सुगंध इत्यादि के साथ आ रहे हैं।
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उनमें से सबसे उल्लेखनीय थे माँ जानकी के मायके द्वारा भेजे गए भार (एक बेटी के घर स्थापना के समय भेजे जाने वाले उपहार) जो जनकपुर (नेपाल) और सीतामढ़ी (बिहार) के ननिहाल से अयोध्या लाए गए। रायपुर, दंडकारण्य क्षेत्र स्थित प्रभु के ननिहाल से भी विभिन्न प्रकार के आभूषणों आदि के उपहार भेजे गए हैं।