छत्तीसगढ़ राजिम कुंभ कल्प का भव्य आयोजन : रायपुर। छत्तीसगढ़ के प्रयाग राजिम में त्रिवेणी संगम पर राजिम कुंभ कल्प के भव्य आयोजन को लेकर तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई हैं। राजिम कुंभ कल्प का शुभारंभ 24 फरवरी से शुरू होगा, जो आठ मार्च तक चलेगा।
इसमें हरिद्वार, अयोध्या, काशी, मथुरा, चित्रकुट, मध्यप्रदेश समेत देश के विभिन्न स्थानों से साधु-संत, पीठाधीश्वर, मठाधीश, महात्मा, शंकराचार्य पहुंचेंगे। आयोजन में कोई कमी न रह जाए, इसलिए कलेक्टर और संचालक स्तर के अधिकारी इसकी खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं। राजिम कुंभ को बीजेपी सरकार भव्य तरीके से मनाएगी। मेलास्थल को 25 सेक्टरों में बांटा गया है।Chhattisgarh Rajim Kumbh Kalpa
इस बार कुंभ में महामंडलेश्वर विशोकानंद भारती, पंडित प्रदीप मिश्रा, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, पंडोखर सरकार जैसे बड़े-बड़े दिग्गज शामिल हो रहे हैं। संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने इन धर्म गुरुओं को कुंभ में शामिल होने का न्योता भेजा था, जिसे धर्मगुरुओं ने स्वीकार कर लिया है। धर्मगुरुओं के अलावा काशी, मथुरा, बनारस, अयोध्या, अमरकंटक और चित्रकूट से बड़ी संख्या में साधु-संत पहुंचेंगे।
छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अधिकारियों ने बताया, कि देश के सभी राज्यों में साधु-संतों को राजिम कुंभ का न्योता भेजा गया है। बड़ी संख्या में VIP गेस्ट भी शामिल हो सकते है। इसके लिए तैयारी जोरों पर की जा रही है।
Chhattisgarh Rajim Kumbh Kalpa
सुरक्षा से लेकर उनके रुकने तक के इंतजाम विभागीय अधिकारी कर रहे हैं। राजिम कुंभ कल्प में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन होगा, जिसमें छत्तीसगढ़ के साथ स्थानीय के साथ दिल्ली-मुंबई के कलाकर भी प्रस्तुति देंगे।
कलाकारों के सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुति के लिए एक अलग मंच बनाया जाएगा, जिसमें सुबह 11 बजे से शाम पांच बजे तक कार्यक्रम चलेगा। कलाकारों से संपर्क करने में अधिकारी जुटे हैं। धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने राजिम कुंभ कल्प के लिए प्रदेशवासियों को आमंत्रित किया है।
जनकपुरी महाराज ने स्थल का किया निरीक्षण Chhattisgarh Rajim Kumbh Kalpa
आयोजन के दौरान तीन पुण्य स्नान 24 फरवरी माघ पूर्णिमा, चार मार्च माता जानकी जयंती और आठ मार्च महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर होंगे। अधिकारियों का कहना है कि पांच वर्षों बाद राजिम कुंभ की भव्यता फिर से लौटेगी। पंच दशनाम अखाड़ा के नागा साधु महंत जनकपुरी महाराज स्थल का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए।
धर्मस्व एवं धार्मिक न्यास, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के निर्देश पर राजिम के आसपास की सभी सड़कों की मरम्मत का कार्य तेज कर दिया गया है। विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों को लाइटिंग, ट्रांसफार्मर, जनरेटर, सजावट, पुल-पुलिया में रोशनी आदि की व्यवस्था, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को पेयजल की व्यवस्था के साथ-साथ आयोजन स्थल पर करीब 300 शौचालय बनाने के निर्देश दिए गए हैं।
लोगों को सुविधा उपलब्ध कराने के उददेश्य से राजिम की ओर सभी दिशाओं से करीब 100 बसें अलग-अलग समय में रात दो बजे तक चलाई जाएंगी। सुरक्षा के मददेनजर बसों में एक-एक सुरक्षा गार्ड तैनात रहेंगे। खाद्य विभाग की ओर से 100 से अधिक दाल भात केंद्र संचालित होंगे। आयोजन स्थल पर 24 घंटे चिकित्सा व्यवस्था भी उपलब्ध रहेगी।
राजिम कुंभ कल्प के प्रभारी अधिकारी गिरीश विस्सा ने कहा, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री के निर्देश के बाद देशभर के साधु-संतों से संपर्क करके आमंत्रण पत्र भेजा जा रहा है। सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए मुंबई और दिल्ली के कलाकारों से भी संपर्क किया जा रहा है।
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राजिम कुंभ पहुंचने वाले अतिथियों और श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी न हो, इसलिए मेले के चारों तरफ पॉर्किंग बनाई जाएगी। पॉर्किंग का रोडमैप भी जिला प्रशासन और पुलिस की ओर से जारी किया जाएगा। श्रद्धालुओं को अपनी गाड़ी खड़ी करने में किसी तरह की परेशानी ना हो, इसलिए पॉर्किंग का अलग-अलग स्थान चिन्हांकित किया गया है।
राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है। यहां तीन नदियों महानदी, पैरी और सोंढूर का संगम है। इसे छत्तीसगढ़ का त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है। इसी पवित्र संगम में राजिम कुंभ लगता है। यहां कुलेश्वर महादेव का प्राचीन शिवमंदिर स्थापित हैं।
पुराणों के अनुसार, वनवास के दौरान भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ यहां आए थे। कुलेश्वर महादेव की स्थापना भगवान राम ने की थी। इसके अलावा राजिम के प्राचीन राजीवलोचन मंदिर के दर्शन करने भी श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते हैं।
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रमन सरकार के कार्यकाल में साल 2006 में राजिम कुंभ की शुरुआत हुई थी। इसका आयोजन 12 सालों तक हुआ। साल 2018 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल ने कुंभ का नाम बदलकर राजिम माघी पुन्नी मेला कर दिया था। प्रदेश में साय सरकार बनने के बाद फिर से इसका नाम राजिम कुंभ किया।