रायपुर. आज मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा की। इसमें कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। कई निर्णय भी हुए।
CM हाउस में हुई बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे। लोकसभा चुनाव के बाद से, मुख्यमंत्री विष्णु साय विभागों की निरंतर समीक्षा कर रहे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग का नेतृत्व स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफा देने के बाद से मुख्यमंत्री ने किया है।
आज की बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों ने मुख्यमंत्री को विभागीय कार्यों की रिपोर्ट दी। स्कूलों की गुणवत्ता पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री विष्णु सहाय ने कहा कि स्कूलों का नियमित निरीक्षण होना चाहिए। अफसरों ने बैठक में बताया कि छत्तीसगढ़ में 300 से अधिक स्कूलों में एकमात्र शिक्षक है। यानी एक गुरु है।
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पता चला है कि अफसरों को मुख्यमंत्री ने इन स्कूलों में शिक्षकों की संख्या बढ़ाने का आदेश दिया है। इसके लिए युक्तियुक्तकरण होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी निरीक्षण आवश्यक है। अफसरों को देखना चाहिए कि स्कूलों में क्या कमी है और उन कमियों को दूर करने के लिए क्या उपाय हैं।
मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्कूलों में पेड़ लगाने का आह्वान किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के हर स्कूल में पेड़ लगाए जाएं। बैठक में शिक्षकों की कमी पर भी चर्चा हुई। चर्चा के दौरान उठाया गया था
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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में कहा कि शिक्षा का मूल मंत्र है। बच्चों को अच्छी शिक्षा दी जाए। स्कूलों में अनुशासन बना रहे, यह सुनिश्चित करें। विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी मैदानी स्तर पर जाकर स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता की निगरानी करें। कलेक्टर भी मासिक रूप से दो से तीन स्कूलों का दौरा कर निरीक्षण करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पारदर्शी प्रशासन और सुशासन का लक्ष्य है। राज्य सरकार प्रयत्न करेगी कि बच्चों को बेहतर स्कूल भवन और अच्छी शिक्षण सुविधाएं मिलें। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुराने स्कूलों के जीर्णोद्धार में देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कलेक्टर स्वयं स्कूल भवनों की सुदृढ़ता की जांच करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि जर्जर स्कूलों की मरम्मत के लिए शुरू की गई स्कूल जतन योजना के तहत मरम्मत कार्यों की जांच की जाए और स्कूल जतन योजना में आवंटित धन का उपयोग करके मरम्मत कार्यों को पूरा किया जाए। मुख्यमंत्री ने समीक्षा के दौरान शिक्षकों और स्कूलों के युक्ति-युक्तकरण के लिए प्रस्ताव अगले कैबिनेट की बैठक में प्रस्तुत करने के लिए कहा। उन्हें लगता है कि इससे स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर होगी। मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, डॉ. बसवराजू एस. और स्कूल शिक्षा सचिव श्री सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी भी बैठक में उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘‘एक पेड़ मां के नाम‘‘ लगाने का आह्वान किया है। बच्चों को बारिश के मौसम में चार दीवार वाले स्कूलों में पेड़ लगवाना चाहिए। पेड़ों की देखभाल केवल बच्चों को करनी चाहिए। नीम, करंज, गुलमोहर आदि पेड़ लगाए जाएं।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि सभी शिक्षकों को रोटेशन के आधार पर प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षण नीति बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों के पालकों को भी स्कूलों से जोड़ा जाएगा। इस वर्ष छत्तीसगढ़ के शासकीय स्कूलों में पहली बार 6 अगस्त को प्रदेशव्यापी मेगा-पीटीएम होगा।
आरटीई के तहत ड्राप आउट रोकने के लिए नियुक्त मेंटॉर
छत्तीसगढ़ में आरटीई के तहत गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय विद्यालयों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों के ड्राप आउट को नियंत्रित करने के लिए जिलेवार अधिकारियों को मेंटॉर के रूप में नियुक्त किया जाएगा। स्कूल शिक्षा सचिव ने सभी कलेक्टरों को इस संबंध में पत्र लिखा है। मेंटॉर के रूप में नियुक्त व्यक्ति आरटीई के तहत चयनित विद्यार्थियों का प्रवेश सुनिश्चित करेगा। शाला प्रशासन और प्रबंधन बच्चों और उनके पालकों के साथ मिलकर कोई समस्या हल करेंगे और पढ़ाई जारी रखने के लिए बच्चों और उनके पालकों को प्रेरित करेंगे।
व्यावसायिक योग्यता: बच्चों की स्किलिंग उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप हो
मुख्यमंत्री ने स्कूलों में बेहतर गुणवत्ता के व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को चलाने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को प्रदेश के उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुसार सक्षम बनाना है, ताकि बारहवीं पास करने के बाद उन्हें पुराने और नए क्षेत्रों में आसानी से रोजगार मिल सके। बच्चों को इसके लिए जमीन पर भी ट्रेनिंग दी जाए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसार कक्षा छह से व्यावसायिक पाठ्यक्रम शुरू होंगे।
बैठक में बताया गया कि छत्तीसगढ़ का छात्र-शिक्षक अनुपात देश में सबसे अच्छा है। Nationally, हर 26 बच्चों पर एक शिक्षक है, जबकि Chhattisgarh में यह अनुपात 21.84 है। प्रदेश में 9,438 बालवाड़ियां हैं, जो 5 से 6 आयु वर्ग के बच्चों के लिए काम करती हैं। इस वर्ष 1132 बालवाड़ी शुरू होंगी। PM योजना की समीक्षा में पता चला कि प्रदेश में यह योजना पहली बार 211 स्कूलों में शुरू की गई है।
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प्रत्येक विकासखण्ड और नगरीय निकाय से एक स्कूल चुना जाता है, जो मॉडल स्कूल बनने के लिए विकसित किया जाता है। 198 स्कूलों ने इस योजना को शुरू करने के लिए प्रस्ताव भेजा है। ग्रीन स्कूल बेहतर अधोसंरचना, AI रोबोटिक्स और आईसीटी लैबों के साथ विकसित होंगे। बैठक में बताया गया कि इस बार अधिकांश स्कूलों में समर कैम्प हुए, जिसमें शिक्षकों और बच्चों ने उत्साह से भाग लिया।
विद्या समीक्षा केंद्र के बारे में बैठक में बताया गया कि इसका उद्देश्य स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा संचालित लाभप्रद योजनाओं की निगरानी करना है। शिक्षकों की पदोन्नति और स्थानांतरण, मध्यान्ह भोजन की योजना, विद्यार्थियों का मूल्यांकन, अवकाश आदि का ऑनलाइन निरीक्षण किया जाएगा। आईआईटी भिलाई के साथ एक अनुबंध किया गया है जिसका उद्देश्य डाटा विश्लेषण के लिए सॉफ्टवेयर बनाना है। प्रबंध संचालक समग्र शिक्षा संजीव झा, लोक शिक्षण संचालक दिव्या उमेश मिश्रा, एससीईआरटी संचालक राजेन्द्र कटारा और पाठ्यपुस्तक निगम संचालक कुलदीप शर्मा भी बैठक में उपस्थित थे।
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